Thursday, 20 February 2014

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A 50- Something Year old White Woman Mrs Nancy Clair from UK  Arrived at her seat on a Crowded Flight BA 443 and immediately didn't want the seat. 
Her seat was next to a Black Man Raj Kapoor. Disgusted, the Woman immediately summoned the Flight Attendant Ria Ber  and demanded a new seat. 
The woman said "I cannot sit here next to this Black Man." The Fight Attendant Ria said "Let me see if I can find another seat." 
After checking, the Ria [ Flight Attendant ] returned and stated "Ma'am, there are no more seats in economy, but I will check with the Captain John Golfin and see if there is something in First Class. 
" About 10 minutes went by and the Flight Attendant Ria returned and stated   "The Captain John has confirmed that there are no more seats in Economy, but there is one in First class. 
It is our  Airlines Policy to never move a person from Economy to 
First Class, but being that it would be some sort of scandal to force a person to sit next to an UNPLEASANT person, Captain John agreed to make the switch to first class." Before the woman could say anything, The Ria gestured to the Black Man and said,

"Therefore Sir Raj, 
If you would so kindly retrieve your personal items, we would like to move you to the Comfort of First Class as the Captain doesn't want you to sit next to an UnPleasant Person.


" Passengers in the seats nearby began to applause while some gave a standing ovation..............

SHARE THIS IF YOU AGAINST RACISM and its Indian species CASTEISM.




Surbhi Maheshwari [MBA Fin / Mktg ] 
Manager Finance
On Line Assistence :

1 comment:


  1. अमेरिका के फिलाडेल्फिया में फ्रैंकलिन नामक एक गरीब युवक रहता था। उसके मोहल्ले में हमेशा अंधेरा रहता था। वह रोज देखता कि अंधेरे में आने-जाने में लोगों को दिक्कत होती है। एक दिन उसने अपने घर के सामने एक बांस गाड़ दिया और शाम को उस पर एक लालटेन जला कर टांग दिया।

    लालटेन से उसके घर के सामने उजाला हो गया। लेकिन पड़ोसियों ने इसके लिए उसका मजाक उड़ाया। एक व्यक्ति बोला, 'फ्रैंकलिन, तुम्हारे एक लालटेन जला देने से कुछ नहीं होगा। पूरे मोहल्ले में तो अंधेरा ही रहेगा।'

    उसके घर वालों ने भी उसके इस कदम का विरोध किया और कहा, 'तुम्हारे इस काम से फालतू में पैसा खर्च होगा।'

    फ्रैंकलिन ने कहा, 'मानता हूं कि एक लालटेन जलाने से ज्यादा लोगों को फायदा नहीं होगा मगर कुछ लोगों को तो इसका लाभ मिलेगा ही।'

    कुछ ही दिनों में इसकी चर्चा शुरू हो गई और फ्रैंकलिन के प्रयास की सराहना भी होने लगी। उसकी देखादेखी कुछ और लोग अपने-अपने घरों के सामने लालटेन जला कर टांगने लगे। और फिर एक दिन पूरे मोहल्ले में उजाला हो गया।

    यह बात शहर भर में फैल गई और म्युनिसिपल कमेटी पर चारों तरफ से दबाव पड़ने लगा कि वह मोहल्ले में रोशनी का इंतजाम अपने हाथ में ले। कमेटी ने ऐसा ही किया।

    फ्रैंकलिन की शोहरत चारों तरफ फैल गई। एक दिन म्युनिसिपल कमेटी ने फ्रैंकलिन का सम्मान किया। इस मौके पर उसने कहा कि हर अच्छे काम के लिए पहल किसी एक को ही करनी पड़ती है। अगर हर कोई दूसरे के भरोसे बैठा रहे तो कभी अच्छे काम की शुरुआत होगी ही नहीं।

    शिक्षा :
    अब ऐसी ही एक शुरुआत 'मानव धर्म' के पक्षधर निस्वार्थी देशभक्त "अरविन्द केजरीवाल" ने की है। इस "कर्मठ शांतिदूत" ने देश विदेश में बसे करोड़ों भारतीयों के मन में एक "आशा की किरण" जगा दी है कि अपना देश भी भ्रष्टाचार से मुक्ति पा कर एक ईमानदार चरित्रवान सुख-संपन्न देश बन सकता है। अब आम आदमी को विशवास हो गया है कि वो और उसके बच्चे भीख नहीं मांगेगे, स्वस्थ होंगे, उन्हें भी रोटी, कपडा, छत और अच्छी शिक्षा मिलेगी, वो सब भी देश की तरक्की में पूर्णरूप से भागीदार बनेगे। महिलाओं और बच्चियों को सम्पूर्ण सुरक्षा मिलेगी। आओ, जोत से जोत जगाते चलें, 'देशभक्ति की संतुष्टि' और 'मन की शांति' के लिए, इस पावन कार्य में "आप" से जुड़ते जाएँ।

    अब आप कब करोगे देश और बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने की शुभ "शुरुआत"?

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